वाकविकार (Dyslexia)
डिस्लेक्सिया कोई बीमारी नहीं है और न ही यह कोई मानसिक अयोग्यता है। डिस्लेक्सिया (Dyslexia) पढ़ने-लिखने से संबंधी एक विकार है, जिसमें बच्चों को शब्दों को पहचानने, पढ़ने, याद करने और बोलने में परेशानी आती है। वे कुछ अक्षरों और शब्दों को उल्टा पढ़ते हैं और कुछ अक्षरों का उच्चारण भी नहीं कर पाते। उनकी पढ़ने की रफ्तार और बच्चों की अपेक्षा काफी कम होती है ।
यह विकार ३-१५ साल के सामान्य जनसंख्या के लगभग ३% बच्चों में पाया जाता है। कई माता-पिता डिस्लेक्सिया को मानसिक रोग से जोड़ते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। डिस्लेक्सिया को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है।
वाकविकार के लक्षण
- अगर आपका बच्चा इनमें से एक या दो परेशानियों से गुजर रहा है और वो स्थायी समस्या नहीं हों तो थोड़ी मदद से ही बच्चे को राहत मिल सकती है, चाहे वो घर पर की गई मदद हो या कक्षा में
- उच्चारण साफ नहीं होना
- उत्तेजित रहना
- कविता वाले शब्दों में दिक्कत
- काफी थका होना या एकाग्रता (एक चीज़ पर ध्यान लगाने) में कमी
- गिनती, शब्द, दिन और महीनों के नाम समझने में दिक्कत
- दाएं और बांए में अंतर समझने में दिक्कत होना
- दिशा और निर्देश समझने में परेशानी
- दूसरे बच्चों के मुकाबले देर से बोलना शुरु करना
- नंबरों के क्रम और गणित के चिन्हों में उलझन ( , - , X , / , =)
- नई चीजें सीखने में देरी
- पढ़ाई के दौरान शब्दों की गलतियां लगातार करना
- प्राइमरी पढ़ाई के दौरान लक्षण पढ़ने
- बातचीत करने में दिक्कत
- बिना सोच विचार के कार्य करना या किसी कार्य को करने योजना नहीं बनाना
- यदि घर पर आप अपने बच्चे के व्यवहार के बारे में सतर्क हैं तो शिक्षकों से जानकारी लीजिए कि क्या स्कूल में भी वो ऐसा ही व्यवहार करता है.
- लोगों से बोलचाल करने में दिक्कत, अपने आसपास की चीजों के प्रति असंवेदनशीलता जिसके कारण दुर्घटना की संभावना बनी रहती है
- वर्णमाला और संख्या को सीखने में दिक्कत होना
- शब्दों और ध्वनि के मेल को काफी देर से समझना
- शब्दों का मतलब समझने में देरी, ज्यादातर सही शब्दों को नहीं पकड़ पाना
- शब्दों की पहचान में दिक्कत जैसे (b/d), उल्टे (m/w), मिलते जुलते (felt/left) और वैकल्पिक (house/home) शब्द
- समय के बारे में याद रखने की कमी
- स्कूल से पहले के लक्षण
- कुछ केस में बच्चे के जन्म से पहले ही डिस्लेक्सिया का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में डॉक्टर उन गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार लेने की सलाह के साथ साथ कुछ विशेष दवाओं से संबंधित सलाह देते हैं।
- जिन मामलों में जन्म के बाद डिस्लेक्सिया का पता लगता है, उन बच्चों को ज्यादा समय देकर संभाला जा सकता है। इन बच्चों की समझ धीमी होती है, इसलिए इन्हें ज्यादा समय देने की आवश्यकता होती है।
- डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के साथ अपना पढ़ने का अपना तरीका बदलें, चीजों को आसान करके बताएं, तोड़-तोड़कर समझाएं। चित्रों और कहानियों का सहारा लें। जिन अक्षरों को पहचानने और लिखने में समस्या होती है, उन्हें बार-बार लिखवाए।
- वोकेशनल ट्रेनिंग कराएं।
दिनाक अप्रैल २०१६
राजीव सिपहिया हमीरपुर
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