Friday 1 April 2016

पित्ताशय की पथरी (Gallstones)

पित्ताशय की पथरी (Gallstones)

पित्ताशय की पथरी के लक्षण


Gallstones
पित्ताशय (Gall Bladder) पित्त (Bile) भंडारण के लिए एक छोटी सी थैली है (पित्त जिगर द्वारा उत्पादित एक पाचक रस है जो खाने में मौजूद वसा के टूटने में प्रयोग किया जाता है)। पित्ताशय में वसायुक्त खाद्य पदार्थों की मात्र अधिक होने से पित्ताशय की पथरी (कोलेस्ट्रॉल, पित्त वर्णक और कैल्शियम लवण से बना छोटा सा पत्थर) का निर्माण होता है।
गॉलस्टोन्स या पथरी पाचन तंत्र की एक आम बीमारी है, और अधिकतर 50 साल से अधिक आयु वर्ग के लोग इससे प्रभावित होते थे, परन्तु वर्तमान जीवन शैली के कारण, खास तौर पर खान पान की आदतों के कारण, युवा वर्ग भी इस तकलीफ से पीड़ित होने लगा है। पित्ताशय की पथरी (pathari ) पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होती हैं।

पित्ताशय की पथरी के प्रकार (Types of Gallstones)
  • मिश्रित पत्थर - कोलेस्ट्रॉल और नमक से बने पत्थर
  • कोलेस्ट्रॉल पत्थर - मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल ,एक वसा की तरह के पदार्थ का बना हुआ होता है।
  • वर्णक पत्थर - पित्त रंग में हरे भूरे रंग का है , विशेष पिगमेंट के कारण वसा की तरह के पदार्थ का बना हुआ होता है
  • पित्त में कोलेस्ट्रॉल संचय, पित्ताशय की पथरी का मुख्य कारण है। 

-पित्ताशय की पथरी के कारण (Causes of Gallstones)
  • पित्त में कोलेस्ट्रॉल की अत्यधिकता (Over Saturation)
  • पित्त में लेसिथिन
  • और पित्त लवण की कम आपूर्ति (Undersupply)।  

सामान्य उपचार


पित्ताशय की पथरी किसी भी समस्याओं का कारण नहीं है लेकिन यदि पित्ताशय की पथरी संक्रमण पैदा कर रहा है तो आपरेशन जरूरी है।   
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पित्त की थैली की पथरी को दूर करने के घरेलू उपचार (Home Remedies For Gall Bladder Stone)

Home remedies for gall bladder stone
अस्सी फीसदी पित्त की थैली की पथरी कोलेस्ट्रॉल (cholestrol) के जमने या सख्त होने के कारण होती है। पित्त की पथरी के कारण पेट में असहनीय दर्द होता है, कई बार उल्टी (vomit) भी हो सकती है। रोगी का खाना पचने में दिक्कत होने लगती है जिससे पेट में अपच (indigestion) और भारीपन रहता है।
पित्त की थैली में पथरी होने के बारे में यही कहा जाता है कि बिना ऑपरेशन के इसे निकालना मुश्किल है। ऐसे में यदि आपको गॉल ब्लेडर स्टोन की शिकायत है तो जाहिर है आपने भी ऑपरेशन का विचार बनाया होगा, लेकिन ऑपरेशन से पहले कुछ घरेलू उपाय अपनाकर देखें, संभव है कि पथरी गल जाए। कुछ घरेलू उपाय न केवल पथरी को गला देंगे बल्कि पाचन को दुरूस्त करके दर्द को भी ठीक कर देंगे। आइए जानते हैं, ऐसे ही घरेलू उपायों के बारे में।
1. सेब का जूस और सेब का सिरका (Apple and Apple cider vinegar)- सेब में पित्त की पथरी को गलाने का गुण होता है, लेकिन इसे जूस के रूप में सेब के सिरके के साथ लेने पर यह ज्यादा असरकारी होता है। सेब में मौजूद मैलिक एसिड (mallic acid) पथरी को गलाने में मदद करता है तथा सेब का सिरका लिवर में कोलेस्ट्रॉल नहीं बनने देता, जो पथरी बनने के लिए जिम्मेदार होता है। यह घोल न केवल पथरी को गलाता है बल्कि दोबारा बनने से भी रोकता है और दर्द से भी राहत देता है।
उपचार के लिए- एक गिलास सेब के जूस में, एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं। इस जूस को रोजाना दिन भर में दो बार पीएं।
2. नाशपाती का जूस (Pear juice)- नाशपाती के आकार की पित्त की थैली को नाशपाती द्वारा ही साफ किया जाना संभव है। नाशपाती में मौजूद पैक्टिन (pectene) कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) को बनने और जमने से रोकता है। यूं भी नाशपाती गुणों की खान है जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं।
उपचार- एक गिलास गरम पानी में, एक गिलास नाशपाती का जूस और दो चम्मच शहद (honey) मिलाकर पीएं। इस जूस को एक दिन में तीन बार पीना चाहिए।
3. चुकंदर, खीरा और गाजर का जूस (Beetroot, Cucumber and carrot juice)- जूस थेरेपी को पित्त की थैली के इलाज के लिए घरेलू उपचारों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। चुकंदर न केवल शरीर का मजबूती देता है बल्कि गॉल ब्लेडर को साफ भी करता है साथ ही लिवर के कोलोन (colon) को भी साफ करता है। खीरा में मौजूद ज्यादा पानी की मात्रा लिवर और गॉल ब्लेडर दोनों को डिटॉक्सीफाई (detoxify) करती है। गाजर में भी विटामिन सी और उच्च पोषक तत्व (high nutrient) होने के कारण यही गुण होते हैं।
उपचार- एक चुकंदर, एक खीरा और चार गाजर को लेकर जूस तैयार करें। इस जूस को प्रतिदिन दो बार पीना है। जूस में प्रत्येक सामग्री की मात्रा बराबर होनी चाहिए, इसलिए सब्जी या फल के साइज के हिसाब से मात्रा घटाई या बढ़ाई जा सकती है।
4. पुदीना (Mint)- पुदीना को पाचन के लिए सबसे अच्छी घरेलू औषधि (home remedy) माना जाता है जो पित्त वाहिका तथा पाचन से संबंधित अन्य रसों को बढ़ाता है। पुदीना में तारपीन (terpenes) भी होता है जो कि पथरी को गलाने में सहायक माना जाता है। पुदीने की पत्तियों से बनी चाय गॉल ब्लेडर स्टोन से राहत दे सकती है।
उपचार- पानी को गरम करें, इसमें ताजी या सूखी पुदीने के पत्तियों को उबालें। हल्का गुनगुना रहने पर पानी को छानकर इसमें शहद मिलाएं और पी लें। इस चाय को दिन में दो बार पीया जा सकता है।
5. खान-पान और दिनचर्या में बदलाव (Changes in diet and daily activity)
रोजाना 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीएं। चाहे प्यास न भी लगी हो।
वसायुक्त या तेज मसाले वाले खाने से बचें।
प्रतिदिन कॉफी जरूर पीएं। बहुत ज्यादा भी नहीं लेकिन दिन में एक से दो कप काफी हैं। कॉफी भी पित्त वाहिका को बढ़ाती है जिससे पित्त की थैली में पथरी नहीं होती।
अपने खाने में विटामिन सी की मात्रा बढाएं। दिनभर में जितना ज्यादा संभव हो विटामिन सी से भरपूर चीजें खाएं।
हल्दी, सौंठ, काली मिर्च और हींग को खाने में जरूर शामिल करें।
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राजीव सिपहिया हमीरपुर दिनाक ०१अप्रैल २०१६ 

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