Monday 28 March 2016

मुंह के छाले (Mouth Ulcer)

मुंह के छाले (Mouth Ulcer)
 मुंह के छाले (Mouth Ulcer)
माउथ अल्सर को मुंह में छाला आना कहते हैं। मुंह के अंदर जो नर्म और मुलायम ऊतक होते हैं, जिसे म्यूकस मेंब्रेन (mucous membrane) कहते हैं, उसी में छाले पड़ते हैं। यह अकसर खाने के दौरान या काफी गर्म खाने से गाल के चमड़े के कटने से होता है।
मुंह में अगर छाले हो जाएं तो कुछ भी खाने में काफी परेशानी होती है। खाना तो दूर पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। छाले होने पर मुंह में तेज जलन और दर्द होता है। कुछ लोगों को तो भोजन नली तक में छाले हो जाते हैं। मुंह में छाला (Muh ke Chhale) आना एक नार्मल बीमारी है, जो कुछ दिनों बाद अपने आप ठीक हो जाती है। कुछ लोगों को छाले बार-बार आते हैं। ऐसे लोगों को अपनी पूरी डॉक्टरी जांच करानी चाहिए, ताकि सही इलाज किया जा सके। मुंह में छाले होने के कई कारण होते हैं। कई बार पेट की गर्मी से भी छाले हो जाते हैं।

मुंह में छालों का कारण (Reason for Mouth Ulcer)मुंह में छाले आने के पीछे कई कारण जिम्मेवार होते हैं। मुख्य तौर पर संतुलित आहार, कब्ज, गुटखे और पान मसाले के सेवन और मुंह की गंदगी से मुंह में अक्सर छाले आते हैं। ज्यादा मिर्च-मसालों का सेवन भी इसके लिए जिम्मेदार होता है, क्योंकि यदि पेट की क्रिया सही नहीं है, तो उसके साइड इफेक्ट के रुप में मुंह में छाले आ जाते हैं।

मुंह के छाले के लक्षण

-मुंह में छालों के कारण (Causes of Mouth Ulcer)

कब्ज (Constipation)
लंबे समय तक कब्ज रहने से मुंह में छाले आ जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मुंह में छाले पेट की खराबी तथा पेट की गर्मी की वजह से होते हैं। कब्ज इसकी मूल वजह है।

गाल या जीभ का कटना (Injury in Cheek and Tounge)
कई बार कोई चीज खाते समय दांतों के बीच जीभ या गाल का हिस्सा आ जाता है, जिसकी वजह से छाले हो जाते हैं। ऐसे छाले मुंह की लार से अपने-आप ठीक हो जाते हैं।
दवाओं के साइड इफेक्ट (Medicine Side Effects)
दवाओं के साइड इफेक्ट की वजह से भी मुंह में छाले होते हैं। लंबे समय तक एंटीबॉयोटिक दवाओं सेवन करने से मुंह में छाले आने की संभावना ज्यादा होती है।  ज्यादा एंटीबॉयोटिक के सेवन से हमारी आंतों में लाभदायक कीटाणुओं की संख्या घट जाती है, नतीजा मुंह में छाले हो जाते हैं।
दांतों की गलत संरचना (Wrong Structure of Teeth)
दांतों की गलत संरचना की वजह से भी मुंह में छाले होते हैं। यदि दांत आड़े-तिरछे, नुकीले या आधे टूटे हुए हैं और इसकी वजह से वे जीभ या मुंह में चुभते हैं या उनसे लगातार रगड़ लगती रहती है, तो वहां छाले हो जाते हैं।

सामान्य उपचार


इलाज और देखभाल (Treatment of Mouth Ulcer)
मुंह के छाले कई मामले में नुकसानदेह नहीं होते हैं और कुछ दिनों में खुद ही खत्म हो जाते हैं। हर्पिस वायरस के संक्रमण से हुए माउथ अल्सर में चिकित्सकीय इलाज की जरुरत होती है। सामान्य तौर पर मुंह में छालों के इलाज परहेज और कुछ सामान्य उपाय से ही हो जाते हैं मसलन-
  • जब तक छाले खत्म नहीं हो मसालेदार और खट्टा खाना बंद कर दें।
  • खूब पानी पीएं।
  • गुनगुने नमक-पानी से कुल्ला करें।
  • मुंह को हमेशा साफ रखें।
  • दर्द होने पर पेन किलर दवा ले सकते हैं।
  • छाले वाले जगह पर एंटी-सेप्टिक जेल लगाएं।
  • मेडीकेडेट माउथ वाश से मुंह साफ करें, कुल्ला करें।

टिप्स (Tips to Prevent Mouth Ulcer)
  • सुबह सुबह गाय के दूध से बने दही के साथ एक केला खाने से आराम मिलता है।
  • खूब टमाटर खाएं। टमाटर का रस एक ग्लास पानी में मिलाकर कुल्ला करने से छाले मिट जाते हैं।
  • यदि छाले सामान्य हैं, तो विटामिन 'बी' कॉम्प्लेक्स तथा फोलिक एसिड की गोलियां 2-3 दिन तक लेने से छाले ठीक हो जाते हैं।
  • छाले पर बोरो ग्लिसरीन भी लगाई जा सकती है या पोटेशियम परमैंगनेट के घोल से कुल्ला करने पर छाले खत्म होते हैं।
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मुंह के छालों का घरेलू नुस्खे (Home Remedies For Mouth Ulcer)

Home Remedies for Mouth Ulcer
मुंह के अंदर की सतह के किसी भी तरह से कटने या उसके ऊपर कोई फोड़ा निकलने से अल्सर या छाला हो जाता है। मुंह का अल्सर होने पर व्यक्ति का मुंह तथा जीभ प्रभावित हो जाते हैं जिससे व्यक्ति को कुछ भी खाने या पीने में परेशानी होती है।

जानिए मुंह के छालों से बचाव के घरेलू नुस्खे (Home remedies for mouth ulcer):
1. नारियल का दूध (Coconut milk)- नारियल का दूध मुंह के अल्सर में दर्द से राहत देता है साथ ही जलन को दूर करता है। उपचार के लिए एक चम्मच नारियल के दूध में थोड़ा सा शहद मिलाकर अल्सर के ऊपर लगाएं। इस उपाय को दिन में तीन से चार बार करें। इसके अलावा नारियल के दूध से कुल्ला करने पर भी आराम मिलता है।
2. धनिया के बीज (Coriander seed)- धनिया के बीज भी मुंह के अल्सर से राहत देते हैं। अल्सर से होने वाली जलन को भी दूर करते हैं। उपचार के लिए पानी में धनिया के बीज डालकर उबालें और इस पानी को छानकर अलग रखें। इस पानी को मुंह में घुमा घुमा कर कुल्ला करें। इस उपाय को भी दिन भर में तीन से चार बार करें।
3. बेकिंग सोडा (Baking soda)- बेकिंग सोडा या सोडियम बाई कार्बोनेट भी मुंह के अल्सर से निजात दिला सकता है। एसिडिक खाने- पीने से होने वाले अल्सर में यह बेहद लाभकारी है। उपचार के लिए एक छोटी चम्मच बेकिंग पाउडर में पानी मिलाकर पेस्ट तैयार करें और प्रभावित स्थान पर लगाएं।
4. शहद (Honey)- मुंह के अल्सर से राहत देने में शहद भी बेहद प्रभावी है। शहद में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी माइक्रोबल गुण होते हैं। उपचार के लिए रूई के फाहे को शहद में डुबाकर, प्रभावित स्थान पर लगाएं। इसी तरह ग्लिसरीन और विटामिन ई तेल को भी लगाया जा सकता है।
5. एलोवेरा (Aloevera)- एलोवेरा का रस, प्रभावित स्थान पर लगाने से अल्सर से होने वाले दर्द से राहत मिलती है। एलोवेरा प्राकृतिक एंटीसेप्टिक की तरह कार्य करता है जिससे छाले जल्दी ठीक होते हैं।
6. धनिया पत्ती (Coriander leaves)- धनिया पत्ती को कच्चा चबाने से मुंह के अल्सर से राहत मिलती है। धनिया पत्ती में फ़ॉलिक एसिड के साथ विटामिन बी 1, बी 2, बी 6 और विटामिन सी पाया जाता है। धनिया पत्ती को डंडी के साथ लगभग 10 मिनट तक चबाना चाहिए। इसके प्रयोग से मुंह से आने वाली दुर्गंध से भी राहत मिलती है।
7. तुलसी (Basil)- तुलसी में एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण पाए जाते हैं। उपचार के लिए 5 से 6 तुलसी की पत्तियों को धोकर अच्छी प्रकार चबाकर खाएं और उसके बाद थोड़ा पानी पी लें। इस उपाय को दिन में दो बार, सुबह और शाम करें।
8. बर्फ (Ice)- बर्फ, अल्सर के कारण मुंह में होने वाले दर्द से राहत देती है। बर्फ को प्रभावित स्थान पर लगाने से, संबंधित जगह थोड़ी देर के लिए सुन्न पड़ जाती है जिससे अल्सर से होने वाली जलन और दर्द से राहत मिलती है।

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हार्ट ब्लॉकेज (Heart Blockage)

हार्ट ब्लॉकेज (Heart Blockage)

Heart blockage
हार्ट ब्लॉकेज (Heart blockage)
हार्ट ब्लॉकेज में मनुष्य की धड़कन सुचारू रूप से काम करना बंद कर देती हैं। इस दौरान धड़कन रूक रूक कर चलती है। कुछ लोगों मे यह समस्या जन्म के साथ से ही शुरू हो जाती है जबकि कुछ लोगों में बड़े होने पर समस्या विकसित होती है। जन्मजात ब्लॉकेज की समस्या को कोनगेनिटल हार्ट ब्लॉकेज (congenital heart blockage) जबकि बाद में हुई समस्या को एक्वायर्ड हार्ट ब्लॉकेज (acquired heart blockage) कहते हैं। आधुनिक रहन-सहन और खाने-पीने की आदतों के चलते अधिकांश लोगों में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या आम होती जा रही है। हार्ट ब्लॉकेज को जांचने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (electro cardiogram) टेस्ट किया जाता है।

हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण

Heart blockage
ब्लॉकेज के कारण- (Cause of Heart Blockage)
हार्ट में ब्लॉकेज या रूकावट प्लॉक के कारण होती है। प्लॉक्स, कोलेस्ट्रॉल, फैट, फाइबर टिश्यू और श्वेत रक्त कणिकाओं का मिश्रण होता है, जो धीरे धीरे नसों की दीवारों पर चिपक जाता है। प्लॉक का जमाव गाढ़ेपन और उसके तोड़े जाने की प्रवृत्ति को लेकर अलग-अलग तरह के होते हैं। अगर यह गाढ़ापन हार्ड होगा, तो ऐसे प्लॉक को स्टेबल कहा जाता है और यदि यह मुलायम होगा तो इसे तोड़े जाने के अनुकूल माना जाता है, और इसे अनस्टेबल प्लॉक कहा जाता है।

स्टेबल प्लॉक (Stable Plaque):- स्टेबल प्लॉक से रूकावट की मात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ता, न ही इससे गंभीर हार्ट अटैक होता है। इस तरह का प्लॉक धीरे धीरे बढ़ता है, ऐसे में रक्त प्रवाह को नई आर्टरीज (artries) का रास्ता ढूंढने का मौका मिल जाता है, जिसे कोलेटरल वेसेल (collateral vessal) कहते हैं। ये वेसेल ब्लॉक हो चुकी आर्टरी को बाईपास कर देती हैं और दिल की मांसपेशियों तक आवश्यक रक्त और ऑक्सीजन पहुंचाती हैं।
अनस्टेबल प्लॉक (Unstable Plaque):- अस्थाई प्लॉक में, प्लॉक के टूटने पर, एक खतरनाक थक्का बन जाता है, और कोलेटरल को विकसित होने का पूरा समय नहीं मिल पाता है। व्यक्ति की मांसपेशियां (muscle) गंभीर रूप से डैमेज हो जाती हैं और वह कई बार सडन कार्डिएक डेथ (sudden cardiac death) का शिकार हो जाता  है 

सामान्य उपचार


हार्ट ब्लॉकेज से बचने के लिए सामान्य टिप्स- (Tips to Prevent Heart Blockage)
- धूम्रपान न करें, यहां तक कि कोई दूसरा धूम्रपान कर रहा हो, तो भी खुद को बचायें।
- हृदय को स्वस्थ रखने के लिए दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करना बेहद जरूरी है।
- ऐसा भोजन करें, जिससे हृदय को लाभ हो।
- हृदय को स्वस्थ रखने के लिए शरीर का वजन नियंत्रित रखें।
- रोज आधा घंटा पैदल चलें।
- लिफ्ट की जगह, सीढ़ियों का इस्तेमाल करें

हार्ट ब्लॉकेज के घरेलू उपचार (Home Remedies For Heart Blockage)

Home Remedies for Heart Blockage
हार्ट ब्लॉकेज के घरेलू उपचार- (home remedies for heart blockage)
  • एक कप दूध में लहसुन की तीन से चार कली डालकर उबालें। इस दूध को रोज पीएं।
  • एक गिलास दूध में हल्दी डालकर उबालें और गुनगुना रहने पर शहद डालकर पीएं।
  • एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस, काली मिर्च और शहद डालकर पीएं।
  • दो से तीन कप अदरक की चाय रोजाना पीएं। इसके लिए पानी में अदरक डालकर उबालें और शहद मिलाकर पीएं।
  • मेथी दाने को रात भर पानी में भिगाकर, सुबह मेथी चबाकर खायें और बचा हुआ पानी पी जाएं।
  • खाने में या सलाद में अलसी के बीजों का इस्तेमाल करें।
  • खाने में सामान्य चावल की जगह लाल यीस्ट चावल का इस्तेमाल करें

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राजीव सिपहिया      जय वैष्णो माता दी  (जय पिपलेश्वर महादेव)
दिनाक २८/०३/ 
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चिकन पॉक्स- चेचक (Chickenpox)

Chickenpox
चिकन पॉक्स- चेचक (Chickenpox)
चेचक एक वायरल संक्रमण (viral infection) है जिससे शरीर पर छाले की तरह दाने बनते हैं और उनमें खुजली (itching) होती है। चेचक ऐसे लोगों को ज्यादा होता है जो बीमार न पड़ते हों या जिन्होंने चेचक से बचने के लिए टीकाकरण न करवाया हो। पहले के समय में युवा होने तक हर कोई चेचक रोग से एक न एक बार जरूर प्रभावित होता था लेकिन आज के समय में इस तरह के रोगों में कमी आई है। ज्यादातर लोगों के लिए, चेचक एक हल्की बीमारी है। फिर भी, यह टीका लगाया जाना बेहतर है। चेचक के टीके चेचक और उसकी संभावित जटिलताओं को रोकने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।

कारण (Causes of Chicken)
वरसैला- जोस्टर वायरस (vericells zoster virus) चिकन पॉक्स या चेचक (Chechak) के लिए जिम्मेदार होता है। ज्यादातर मामलों में यह संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोगों में फैलती है। शरीर पर दाने निकलने के कई दिन पहले से ही वायरस शरीर में प्रवेश कर चुका होता है और यह दानों के सूखने तक बना रहता है। यह सलाइवा, छींकने और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है।

चेचक के लक्षण (Symptoms of Chickenpox)
इनमें से कोई भी अवस्था होने पर चिकित्सक को दिखाएं-
- दानों का एक या दोनों आंखों में फैलना।
- दानों का बहुत अधिक लाल और सूजा हुआ दिखना, यह त्वचा के अन्य संक्रमण के लक्षण भी हो सकते हैं।
- दानों के साथ, चक्कर आना, दिल की धड़कनों का तेज होना, सांस तेजी से चलना, कांपना, मांसपेशियों में समन्वय के नुकसान की तकलीफ, बिगड़ती खांसी, उल्टी, गर्दन में अकड़न या बुखार तेज होना।
- घर में किसी को भी प्रतिरक्षा की कमी या 6 महीने से छोटा बच्चा होना 

चिकन पॉक्स- चेचक के लक्षण

किन लोगों को होता है अधिक खतरा?  (Risk Factors of Chicken Pox)
चेचक अत्यधिक संक्रमित होती है, और यह तेजी से फैल सकती है। वायरस के दाने के साथ सीधे संपर्क में आने से या खांसने या छींकने से हवा में बैक्टीरिया फैलने से दूसरों को हो सकती है। चेचक (chechak) का खतरा तब और अधिक होता है जब: 
- किसी को कभी चेचक न हुई हो।
- चेचक के लिए टीकाकरण न करवाया हो।
- बच्चे जो स्कूल या हॉस्टल में संक्रमण से प्रभावित हुए हों।
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सामान्य उपचार


उपचार (Treatments of Chicken Pox)
- एक चम्मच बेकिंग सोडा (baking soda) को एक गिलास पानी में घोलकर, इस पानी को रूई की सहायता से शरीर पर लगाएं। चेचक से निजात मिलेगी।
- चेचक के दौरान होने वाली खुजली से बचने के लिए ओटमील (oatmeal) को पानी में डालकर नहाएं।
- चेचक (chechak) से होने वाली खुजली से बचने के लिए कैलामाइन लोशन (calamine lotion) को दानों के ऊपर लगाएं।
- दिन में दो से तीन बार प्रभावित स्थान पर शहद लगाएं।
- चेचक को जल्दी ठीक करने के लिए गाजर और हरे धनिया का सूप बनाकर पीएं।
- चंदन के तेल में रूई भिगाकर, प्रभावित स्थान पर लगाएं।
- हरी मटर को उबालकर उसका पेस्ट बनाकर, दानों पर लगाएं, आराम मिलेगा।
- एलोवेरा का ताजा रस निकालकर दानों पर लगाएं।

टिप्स (Tips for Chicken Pox)
- यदि चेचक के साथ बुखार भी है तो खूब पेय पदार्थ पीएं। पानी, जूस और सूप समय समय पर लेते रहें। यदि बच्चा संक्रमित मां का दूध पीता हो, तो मां को दूध नहीं पिलाना चाहिए।
- दानों को न खुजलाएं और हाथों के नाखून छोटे रखें। रात में सोते समय खुजलाने से बचने के लिए हाथों पर ग्लव्स (gloves) पहनें।
- खुजली से बचने के लिए शरीर को ठंडा रखें। हल्के कपड़े पहनें और गरम पानी से नहाने से बचें।
- इस बात का भी ध्यान रखें कि संक्रमण घर के दूसरों सदस्यों तक न फैले। संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर आदि दूर रखें और उन्हें घर के अन्य सदस्यों के कपड़ों से अलग ही धोएं।

चिकन पॉक्स से बचाव के लिए घरेलू नुस्खे (Home Remedies For Chicken Pox)

Home Remedies for Chicken pox
शरीर में तेजी से खुजली होना, लाल दाने निकल आना चिकन पॉक्स या चेचक (Chicken pox) के प्रमुख लक्षण हैं। 1 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों में चिकन पॉक्स का खतरा ज्यादा होता है। खान-पान में हुई अनियमितता चिकन पॉक्स के फैलने का प्रमुख कारण होती है। इस दौरान नाखून से चकत्तों को हटाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, ऐसा करने से यह फैलता है।
चेचक (Chechak) के समय खान-पान का उचित ध्यान रखना चाहिए। मसालेदार और ऑयली खाना खाने से बचें। चिकनपॉक्स के किसी मरीज को कभी एस्प्रिन नहीं देनी चाहिए। इससे उसकी हालत खराब हो सकती है। चिकन पॉक्स होने पर बाहर और भीड़ वाली जगह पर जाने से परहेज करें। हो सके तो इस दौरान लोगों से दूर रहें।

जानिए चिकन पॉक्स से बचाव के घरेलू नुस्खे (Home Remedies for Chicken pox)
निम्न उपचारों को अपनाकर इस बीमारी से राहत पाई जा सकती है:
1. जई का आटा (Oat Flour)- चिकन पॉक्स होने पर शरीर में बहुत तेज खुजली होती है। खुजली से बचने के लिए जई के आटे को पानी में मिलाकर स्नान करना चाहिए। 2 लीटर पानी में 2 कप जई का आटा मिलाकर लगभग 15 मिनट तक उबालें, पके आटे को एक कॉटन के बैग में अच्छी तरह से बांधकर बॉथ टब में डालकर नहाएं।
2. भूरा सिरका (Brown Vinegar)- आधा कप भूरे सिरके को पानी में डालकर नहाने से शरीर में हो रही खुजली से निजात पायी जा सकती है। इससे दानों की सूजन कम होती है और दाने सूखने भी लगते हैं।
3. नींबू का रस (Lemon Juice)- नींबू का रस पीने से चिकन पॉक्स में राहत मिलती है। उपचार के लिए समय समय पर एक गिलास साफ पानी में नींबू निचोड़कर पीते रहें।
4. नीम की पत्तियां (Margosa Leaves)- नीम की पत्तियों को गर्म पानी में डालकर नहाने से खुजली समाप्त होती है। नीम प्राकृतिक रूप से एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। ऐसे में चिकन पॉक्स ठीक करने में बेहद फायदेमंद है।
5. बेकिंग सोडा (Baking Soda)- आधा चम्मच बेकिंग सोडा को एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाएं और इस लेप को पूरे शरीर पर लगाकर सूखने दें। इससे चिकनपॉक्स जल्द ठीक हो जाता है।
6. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)- आधा कप सेब के सिरके को हल्के गर्म पानी में मिलाकर नहाने से राहत मिलती है। इस पानी में तकरीबन 20 मिनट तक जरूर बैठें।
7. विटामिन ई तेल (Vitamin E Oil)- विटामिन-ई युक्त तेल को शरीर पर लगाने से चिकन पॉक्स के दौरान होने वाली खुजली से राहत मिलती है।
8. गाजर (Carrot)- उबले गाजर और धनिया खाने से चिकन पॉक्स से आई कमजोरी कम होती है। गाजर और धनिया का सूप बनाकर पीने से राहत मिलती है।
9. हर्बल चाय (Herbal Tea)- तुलसी, गेंदा और कैमोमाइल को मिलाकर चाय बनाइए फिर उसमें शहद या नींबू मिलाकर पीजिए। इस चाय को दिन में 3-4 बार पीने से राहत मिलती है।
10. हरी मटर (Green Pea)- हरी मटर को पानी में पकाकर इसके पानी को शरीर में लगाइए, इससे चिकन पॉक्स के लाल चकत्ते समाप्त होते हैं।
11. अदरक (Ginger)- बाथ टब में ठंडा पानी लें और उसमें अदरक डालकर तीस मिनट तक छोड़ दें। उसके बाद इस पानी में बैठ जाएं। इससे चिकनपॉक्स के दौरान होने वाली खुजली में आराम मिलता है।
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राजीव सिपहिया हमीरपुर 

सफेद बाल- ग्रे हेयर (Grey Hair)

सफेद बाल- ग्रे हेयर (Grey Hair)
Grey hair
सफेद बाल- ग्रे हेयर (Grey hair)
उम्र के साथ बालों का सफेद होना प्राकृतिक है लेकिन कई बार कम उम्र में ही बाल सफेद होने लगते हैं। ऐसा कई बार हार्मोनल गड़बड़ी, बदलती लाइफस्टाइल और प्रदूषण वाले माहौल के कारण भी हो सकता है। मौजूदा समय में टीनेज में ही बच्चों के बाल सफेद होने लगते हैं।

सफेद बालों से बचने के लिए लोग बालों में तरह-तरह के केमिकल और रंगों का इस्तेमाल करते हैं जिससे बालों पर और भी दुष्प्रभाव पड़ता है। सफेद बालों की शुरूआत एकदम से नहीं होती यानि कि एक साथ सारे बाल सफेद (Safed Baal) नहीं होते। धीरे धीरे काले बाल सफेद होना शुरू होते हैं और यह क्रिया फालीकल से शुरू होती है। ऐसे में बाल सफेद होने की शुरूआत में ही सावधानी बरत कर बालों को सफेद होने से बचाया जा सकता है।
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सफेद बाल- ग्रे हेयर के लक्षण

ज्वाइंट पेन- जोड़ों में दर्द (Joint Pain)

ज्वाइंट पेन- जोड़ों में दर्द
शरीर के ऐसे हिस्से जहां हड्डियां मिलती हों, जोड़ कहलाते हैं, जैसे घुटने (knee), कंधे (shoulder), कोहनी (elbow) आदि। इन्हीं जोड़ों में कठोरता (stiffness), सूजन (swelling), किसी तरह की तकलीफ जो दर्द का कारण बने, जोड़ों में दर्द कहलाती है। जोड़ों में दर्द एक आम समस्या है जिसमें लगातार अस्पताल जाने या दवा (medicine) खाने की जरूरत नहीं होती।
अर्थराइटिस (arthritis) जोड़ों में दर्द का सबसे आम कारण है लेकिन जोड़ों में दर्द (Jodo me Dard) कई अन्य वजहों जैसे कि लिगामेंट (ligaments), कार्टिलेज (cartilage) या टेंडोंस में से किसी भी संरचना में चोट के कारण से भी हो सकता है। जोड़ शरीर का अहम हिस्सा होते हैं जिनके कारण उठना- बैठना, चलना, शरीर को मोड़ना आदि संभव हो पाता है। ऐसे मे जोड़ों में दर्द होने पर पूरे शरीर का स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

ज्वाइंट पेन- जोड़ों में दर्द के लक्षण

मलेरिया बुखार के कारण

Malaria
मलेरिया बुखार के कारण प्रतिवर्ष की कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं। गंदे पानी में पनपने वाले मच्छरों के काटने से फैलनी वाली इस बीमारी के विषय में जानकारी बेहद कारगर है। आइए जानें मलेरिया के बारें में:

मलेरिया (About Malaria in Hindi) 
मलेरिया मादा ऐनोफ्लीज मच्छर (Female Anopheles Mosquito) के काटने से फैलता है, जोकि गंदे पानी में पनपते हैं। ये मच्छर आमतौर पर दिन ढलने के बाद काटते हैं। जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। मलेरिया के दौरान रोगी को तेज बुखार के साथ उलटी और सर दर्द की समस्या भी होती है। मलेरिया के तीन स्टेज होते हैं। 

मलेरिया के स्टेज (Stages of Malaria)
मलेरिया के बुखार को तीन स्टेज में देखा जाता है:
कोल्ड स्टेज (Cold Stage): इस दौरान रोगी को तेज ठंड के साथ कपकपी होती है।  
हॉट स्टेज (Hot Stage): इस दौरान रोगी को तेज बुखार, पसीने और उलटी आदि की शिकायत हो सकती है। 
स्वेट स्टेज (Sweat Stage): मलेरिया बुखार के दौरान स्वेट स्टेज में मरीज को काफी पसीना आता है। 

मलेरिया के लक्षण

क्यों फैलते हैं मलेरिया के मच्छर (Causes of Malaria in Hindi)
  • आसपान मौजूद पानी को समय पर ना बदलना
  • रहने के स्थान के आसपास गंदगी होना
  • पानी का जमाव होना
  • मच्छरों के अंडों का जमा होना

सामान्य उपचार


मलेरिया का प्राथमिक उपचार (Treatment of Malaria in Hindi)
मलेरिया होने पर अधिक से अधिक कोशिश करनी चाहिए कि रोगी को जल्दी से डॉक्टर से ले जाकर जांच कराई जाए। जांच में मलेरिया की पुष्टि होने पर ही उपचार शुरु करना चाहिए। मलेरिया के दौरान कुछ अहम उपचार और प्रभावी कदम निम्न हैं: 
  • मलेरिया में क्लोरोक्विन जैसी एंटी-मलेरियल दवा (Chloroquine- Anti malarial medicine) दी जाती है। इन दवाओं के साइड - इफेक्ट्स हो सकते हैं, इसलिए इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।
  • मरीज को पूरा आराम करने दें। उसे हर छह घंटे में पैरासिटामोल (Paracetamol in Malaria) दें और बार- बार पानी और तरल चीजें ( नीबू पानी , छाछ , नारियल पानी आदि ) पिलाएं।
बच्चों को मलेरिया होने पर (Hindi Tips for Malaria in Kids)
  • मलेरिया बुखार के दौरान बच्चों का खास ख्याल रखें।
  • बच्चे नाजुक होते हैं और उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है इसलिए बीमारी उन्हें जल्दी पकड़ लेती है। ऐसे में उनकी बीमारी को नजरअंदाज न करें।
  • बच्चे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए इन्फेक्शन होने और मच्छरों से काटे जाने का खतरा उनमें ज्यादा होता है।
  • बच्चों घर से बाहर पूरे कपड़े पहनाकर भेजें। 
  • मच्छरों के मौसम में बच्चों को निकर व टी - शर्ट न पहनाएं। 
  • रात में मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।
  • अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो , लगातार सोए जा रहा हो , बेचैन हो , उसे तेज बुखार हो , शरीर पर चकत्ते (Rashes) हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
  • आमतौर पर छोटे बच्चों को बुखार होने पर उनके हाथ - पांव तो ठंडे रहते हैं लेकिन माथा और पेट गर्म रहते हैं इसलिए उनके पेट को छूकर और रेक्टल टेम्प्रेचर लेकर उनका बुखार चेक किया जाता है। बगल से तापमान लेना सही तरीका नहीं है , खासकर बच्चों में। अगर बगल से तापमान लेना ही है तो जो रीडिंग आए, उसमें 1 डिग्री जोड़ दें। उसे ही सही रीडिंग माना जाएगा।
  • मलेरिया से बचने के घरेलू उपाय (Home Remedies For Malaria)

    Home Remedies for Malaria
    मलेरिया बुखार के दौरान तेज सिर दर्द (Headache), जोर की ठंड के साथ कंप कंपी (Shivring) होना, मांसपेशियों मे भयंकर दर्द होना (Muscle pain) और बेहद कमजोरी जैसे लक्षण महसूस होते हैं। बुखार उतरते समय पसीना होता है। शरीर का तापमान 104 डिग्री से भी ज्यादा हो सकता है। जी घबराना और पित्त की कड़वी उल्टी होना और प्रतिदिन निश्चित समय पर बुखार चढ़ना भी मलेरिया का प्रमुख लक्षण है।

    जानिए मलेरिया से राहत के घरेलू उपाय (Home Remedies for Malaria)
    1. चूना (Chuna)- तीन ग्राम चूना लें, इसे 60 मिली पानी में घोलें। एक नींबू इसमें निचोड़ें। मलेरिया बुखार की संभावना होने पर यह मिश्रण पीएं। यह नुस्खा प्रतिदिन लेने से बुखार से राहत मिलती है।
    2. चिरायता- (Chirata)- चिरायता मलेरिया बुखार की सबसे असरदायक औषधि मानी गई है। एक पाव गरम पानी में 15 ग्राम चिरायता मिलाएं, कुछ लौंग और दालचीनी भी मिला दें। इस पानी के इस्तेमाल से भी मलेरिया बुखार उतरने लगता है।
    3. नींबू (Lemon)- गरम पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से बुखार की तीव्रता घटने लगती है।
    4. फिटकरी (Alum)- थोडी सी फ़िटकरी तवे पर भूनकर चूर्ण बना लें। आधा चम्मच पाउडर बुखार आने के 3 घंटे पहले पानी से पीएं। बाद में हर दूसरे घंटे पर यह दवा लेते रहने से बुखार खत्म होता है।
    5. तुलसी पत्ता (Basil leaves)- जब बुखार न हो, 10 ग्राम तुलसी के पत्तों के रस में आधा चम्मच काली मिर्च का पाउडर मिलाकर चाट लें। इससे मलेरिया बुखार खत्म हो जाता है।
    6. शहद (Honey)- एक गिलास पानी लें। इसमें एक चम्मच दालचीनी, एक चम्मच शहद और आधा चम्मच काली मिर्च का पाउडर मिलाकर गर्म करें। ठंडा होने पर पीएं, यह अत्यंत लाभकारी नुस्खा है।
    7. धतूरा (Dhatoora)- धतूरा की नई कोपल 2 नग लेकर गुड़ के साथ अच्छी तरह मिलाकर इसकी गोली बना लें। इन्हें दिन में 2 बार लेने से मलेरिया खत्म हो जाता है।
    8. अन्न न खाएं (Avoid solid food)- मलेरिया होने पर अन्न न खाएं। केवल फल और पानी लेते रहें। ऐसा करने से बुखार से जल्दी लाभ मिलता है।
    9. अदरक (Ginger)- एक गिलास पानी में 10 ग्राम अदरक और 10 ग्राम मुनक्का डालकर इतना उबालें कि आधा रह जाय। ठंडा होने पर पीएं।
    10. अमरूद (Guava)- एक बड़ा अमरुद गरम राख में भून लें। यह अमरूद खाना भी, मलेरिया रोगी के लिए लाभकारी है।
    11. ठंडी पट्टी रखें (Cold compress)- तेज बुखार की हालत में माथे पर ठंडे पानी की पट्टी रखने से तापमान नीचे आ जाता है। ठंडे पानी में गीला किया टावेल सारे शरीर पर लपेटने से तुरंत लाभ मिलता है।
    12. प्याज का रस (Onion juice)- प्याज का रस मलेरिया में लाभकारी है। 5 मिली रस में 4 काली मिर्च का पाउडर मिलाकर दिन में 3 बार पीने से लाभ होता है।
    13. जामुन (Black berry)- जामुन के पेड़ की छाल सुखाकर पीस लें। 5 ग्राम चूर्ण, गुड़ के साथ दिन में 3 बार लेने से मलेरिया से राहत मिलती है।
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  •  राजीव सिपहिया  हमीरपुर {हिमाचल}    

प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer)

प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer)
Prostate Cancer
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों को होता है। ये कैंसर शुरूआती दौर में पता चल जाए, तो आसानी से ठीक किया जा सकता है।
क्या है प्रोस्टेट कैंसर (About Prostate Cancer in Hindi)
दरअसल प्रोस्टेट एक ग्रंथि है। ये वो द्रव्य (Fluid) बनाती है, जिसमें शुक्राणु (Sperm) होते हैं। प्रोस्टेट मूत्राशय के नीचे स्थित होता है, जिसका आकार अखरोट जैसा होता है। आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ ही प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। लेकिन आजकल की दिनचर्या के कारण यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है।

प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम (Risk Factors of Prostate Cancer​)
प्रोस्टेट की समस्या तकलीफ़देह तो होती ही है, लेकिन अगर थोड़ी सी भी कोताही बरती जाए तो कैंसर (Prostate Cancer) में परिवर्तित होकर जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि समय रहते इसकी उचित पहचान और चिकित्सा कराई जाए। दिल्ली कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के बाद होने वाली दूसरी बड़ी बीमारी प्रोस्टेट कैंसर है।

प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण