Monday 28 March 2016

वायरल बुखार (Viral Fever)

वायरस के संक्रमण से होने वाले बुखार को वायरल फीवर (Viral Fever) कहते हैं। वायरल बुखार के वायरस गले में सुप्तावस्था में निष्क्रिय रहते हैं। ठंडे वातावरण के संपर्क में आने, फ्रिज का ठंडा पानी, शीतल पेय पीने आदि से ये वायरस सक्रिय होकर हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित कर देते हैं।

वायरल बुखार की जानकारी (Details of Viral Fever)
यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी तथा बड़ी तेजी से पहुँचती है। इसके विषाणु साँस द्वारा एक से दूसरे में पहुँचते हैं। फैलने के बाद फ्लू एक-दो दिन तथा कभी-कभी कुछ घंटों में सक्रिय हो जाता है।

बच्चों में वायरल बुखार (Viral Fever in Kids)
शिशुओं के लिए वायरल और अधिक कष्टदायी होता है। इससे वे पीले तथा सुस्त पड़ जाते हैं। उन्हें श्वसन तथा स्तनपान में कठिनाई के साथ ही उल्टी-दस्त भी हो सकते हैं। इसके अलावा शिशुओं में निमोनिया, कंठशोथ और कर्णशोथ जैसी जटिलताएँ भी पैदा हो जाती हैं।
किसी अन्य रोग के साथ मिलकर वायरल बुखार रोगी की हालत को और भी खराब कर देता है। उदाहरण के लिए यदि खाँसी के रोगी बच्चे को वायरल हो जाए तो उसका तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए पेचिश और क्षय रोग के मरीजों को इससे विशेष रूप से बचाना चाहिए।

वायरल बुखार के लक्षण

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