Monday 4 April 2016

घेंघा (Goiter)

घेंघा (Goiter)

Goiter
घेंघा यानि गोइटर (Goiter) रोग थॉयराइड ग्लैंड के असामान्य तरीके से बढ़ने के कारण होता है। घेंघा रोग अस्थाई भी हो सकता है जो कि समय के साथ खुद ही ठीक हो जाता है लेकिन कुछ कारणों में यह गंभीर होता है जिसे चिकित्सकीय सलाह की जरूरत होती है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

क्यों होता है घेंघा (Reason for Goiters)
घेंघा (Ghengha) अधिकतर आयोडीन की कमी से होता है। इस रोग में गर्दन या ठोड़ी में छोटी या बड़ी सूजन आ जाती है, जिससे गले वाला हिस्सा कुछ फूला हुआ नजर आता है। अगर इसकी अनदेखी की जाए तो यह कैंसर का भी रूप धारण कर लेता है। 

घेंघा के लक्षण

-घेंघा बहुत अधिक हाइपरथाइरॉडिज्म (hyperthyroidism) हार्मोन के स्त्रावित होने या हाइपोथाइरोडिज्म (hypothyroidism) के बहुत कम स्त्रावित होने या एकदम सामान्य होने पर भी हो सकता है। घेंघा रोग होने का मतलब है कि थॉयराइड ग्लैंड एब्नॉर्मल तरीके से बढ़ रही है। घेंघा रोग के विषय में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी निम्न है: 


घेंघा के विषय में जानकारी (Information of Goiters in Hindi)
* खाने में आयोडीन की कमी से भी घेंघा रोग होता है।
* घेंघा रोग में दूध से बने हुई पदार्थ, ईख के पदार्थ, खट्टी-मीठी चीजें, भारी तथा देर में पचने वाली चीजें, ज्यादा मीठी खाने वाली चीजें, मोटापा बढ़ाने वाला भोजन और ज्यादा रस वाले पदार्थ हानिकारक हैं। ऐसी चीजें घेंघा को बढ़ाने का काम करती हैं। 
* घेंघा रोग में पुराना लाल चावल खाने से, पुराना घी, मूंग, परवल, करेला, तथा पुष्टिकारक (शक्ति देने वाला) और जल्दी पचने वाला भोजन करने से लाभ मिलता है। साथ ही आयोडिन की सही मात्रा भी खाने में लेना आवश्यक है। 
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सामान्य उपचार


घेंघा रोग का इलाज बेहद आसान है। लेकिन इसकी जानकारी होना भी आवश्यक है। घेंघा रोग में कुछ जरूरी और असरदार उपाय निम्न हैं: 

घेंघा का उपचार (Treatment of Goiter in Hindi)
1. नमक- खाने में हमेशा आयोडीन वाला नमक खाने से घेंघा रोग में बहुत लाभ मिलता है।
2. करजनी- गूंजा या करजनी की जड़ और बीज से निकाला हुआ तेल लगाने से और नाक में डालने से गलग्रंथि और गले की गांठ में लाभ होता है।
3. अपराजिता- सफेद अपराजिता की जड़ के एक से दो ग्राम चूर्ण को घी में मिश्रित कर पीने से अथवा कटु फल के चूर्ण को गले के अन्दर घर्षण करने से घेंघा रोग शांत होता है।
4. पीपल- पीपल और थूहर का लेप करने से मेदज घेंघा (मोटापे की वजह से गले की गांठे) ठीक हो जाती हैं।
5. देवदारू- देवदारू और इन्द्रायण को एक साथ पीसकर लेप करने से कफज घेंघा ठीक हो जाती है।
6. अरंडी- अरंडी की जड़ को पीसकर चावल के पानी में मिलाकर सुबह-शाम लेप करने से घेंघा रोग ठीक हो जाता है।
7. समुद्रफल- समुद्रफल, सहजन के बीज और दशमूल की सारी औषधियों को सिल पर पीसकर हल्का-हल्का गर्म लेप करने से वातज गलगंड यानि घेंघा (गैस की वजह से गले की गांठे) रोग ठीक हो जाता है।
8. अमलतास- अमलतास की जड़ को बारीक पीसकर पानी में मिलाकर गलगंड (घेंघा) तथा गंडमाला (गले की गांठे) पर लेप करने से दोनों रोग ठीक हो जाते हैं।
9. लौकी- लौकी के पके हुए फल में पानी भरकर एक सप्ताह तक रखे रहने दें। उसके बाद पीने से घेंघा रोग समाप्त हो जाता है।
10. लाल अरंडी- लाल अरंडी की जड़ को पीसकर चावलों के पानी में मिलाकर लेप करने से घेंघा रोग ठीक हो जाता है।
11. सूरजमुखी- सूरजमुखी की जड़ और लहसुन दोनों को पीसकर, टिकिया बनाकर गले पर बांधने से घेंघा फूट जाता है और बहकर साफ हो जाता है मगर इससे दर्द बहुत होता है।
wwwsipahiya.blogspot.com   _________   बम भोले 
जय माता दी *************** जय माता वैष्णो देवी 
मिस्टर राजीव सिपहिया   >>>>>>>>>>>>> 

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