Monday 4 April 2016

पीलिया (Jaundice)

पीलिया (Jaundice)

Jaundice
पीलिया (Jaundice)
पीलिया एक ऐसा रोग है जो एक विशेष प्रकार के वायरस और किसी कारणवश शरीर में पित्त यानि रक्त में बिलीरुबिन (Bilirubin Disorder) की मात्रा बढ़ जाने से होता है। इसमें मरीज को पीला पेशाब होता है। उसके नाखून, त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है और मरीज को काफी कमजोरी, कब्ज, जी मिचलाना, सिरदर्द, भूख न लगना आदि शिकायत होने लगती है।

यह बहुत ही सूक्ष्‍म विषाणु (Virus) से होता है। शुरू में जब रोग धीमी गति से व मामूली होता है तब इसके लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं, लेकिन जब यह गंभीर हो जाता है तो मरीज की आंखे व नाखून पीले दिखाई देने लगते हैं। जिन वायरस से यह होता है उसके आधार पर मुख्‍यतः पीलिया तीन प्रकार का होता है (Types of Jaundice) वायरल हैपेटाइटिस ए, वायरल हैपेटाइटिस बी तथा वायरल हैपेटाइटिस नॉन ए व नॉन बी। शरीर में एसिडिटी के बढ़ जाने, काफी दिनों तक मलेरिया रहने, पित्त नली में पथरी अटकने, ज्यादा शराब पीने, अधिक नमक और तीखे पदार्थों के सेवन से और खून में रक्तकणों की कमी होने से भी पीलिया (Piliya) रोग होता है।

यह रोग ज्‍यादातर ऐसे स्‍थानों पर होता है जहां के लोग व्‍यक्तिगत व आसपास की सफाई पर कम ध्‍यान देते हैं अथवा बिल्‍कुल ध्‍यान नहीं देते। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भी यह ज्‍यादा होता है। वायरल है पटाइटिस बी किसी भी मौसम में हो सकता है। वायरल हैपटाइटिस ए तथा नॉन व नॉन बी एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति के नजदीकी सम्‍पर्क से होता है। ये वायरस रोगी के मल में होते हैं। पीलिया रोग से पीड़ित व्‍यक्ति के मल से, दूषित जल, दूध अथवा भोजन द्वारा इसका प्रसार होता है। ऐसा हो सकता है कि कुछ रोगियों की आंख, नाखून या शरीर आदि पीले नही दिख रहे हों लेकिन यदि वे इस रोग से ग्रस्‍त हो तो अन्‍य रोगियो की तरह ही रोग को फैला सकते हैं। वायरल हैपटाइटिस बी खून व खून से निर्मित प्रदार्थो के आदान प्रदान एवं यौन क्रिया द्वारा भी फैलता है।
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पीलिया के लक्षण

पीलिया रोग के कारण (Causes and Reasons of Jaundice)
जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं 120 दिन के साइकिल में एक नेचुरल प्रक्रिया के तहत टूटती है तो वेस्ट बाइ प्रोडक्ट के रुप में बिलीरुबिन (Bilirubin Disorder) का उत्पादन होता है। बिलीरुबिन के जरिए शरीर की सारी गंदगी लिवर से छन कर बाहर निकलती है। यह गंदगी पेशाब और मल के जरिए बाहर निकलती है। अगर लिवर में संक्रमण है या फिर रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा 2.5 से ज्यादा हो जाती है तो लिवर के गंदगी साफ करने की प्रक्रिया अवरुद्ध हो जाती है और इसी परिस्थिति में पीलिया की बीमारी हो जाती है।

पीलिया रोग के अन्य कारण (Other Reasons & Causes of Jaundice)
अगर किसी संक्रमण से लाल रक्त कोशिका अपनी सामान्य प्रक्रिया से पहले ही टूटने लगती है तो रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ने लगती है। इस परिस्थिति को प्री हेपटिक जॉन्डिस कहते हैं। मलेरिया, स्किल सेल एनीमिया, थेलीसीमिया में और कई आनुवांशिक कारणों से भी रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा अचानक बढ़ने लगती है जिससे पीलिया (Piliya) रोग होता है।

अगर किसी कारण से लिवर को नुकसान पहुंचा है तो लिवर से बिलीरुबिन बनने की क्षमता ही कम हो जाती है। इसे इंट्रा-हेपाटिक जॉन्डिस भी कहा जाता है। वायरल हैपेटाइटिस (Viral Hepatitis), लीवर का अल्कोहलिक होना (Alcohol), तेज बुखार (Fever), लीवर कैंसर (Liver Cancer), गलत दवाओं के सेवन और पैरासिटामोल (Medicine Side effects) के ज्यादा सेवन से भी इंट्रा-हेपाटिक जॉन्डिस होते हैं। मोटापा में लीवर साइरोसिस होने का खतरा रहता है। जिससे इंट्रा-हेपाटिक जॉन्डिस की संभावना रहती है।

गॉल ब्लाडर में पत्थर, पैनक्रियाज का सही ढंग से काम नहीं करना, पैनक्रियाज कैंसर या फिर गॉल ब्लाडर के कैंसर में भी लिवर द्वारा बाइ प्रोडक्ट बिलीरुबिन को शरीर से निकालने की प्रक्रिया बंद हो जाती है। नतीजा रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा काफी बढ़ जाती है और गंभीर पीलिया रोग हो जाता है।

सामान्य उपचार


देखभाल और इलाज (Care and Treatment for Jaundice)
पीलिया में इलाज करने के तरीके रोग की गंभीरता और जटिलता को देख कर की जाती है। इलाज की पहली प्रक्रिया जांच है, जांच में सारे रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इलाज की प्रक्रिया शुरु होती है।
इसके इलाज में मरीज को आराम करने की सलाह दी जाती है ताकि लीवर को आराम मिल सके और उसमें बिलीरुबिन बनने लगे और इसके जरिए शरीर की सारी गंदगी बाहर निकल सके। अगर मरीज ज्यादा गंभीर है और पीलिया का संक्रमण ज्यादा खतरनाक हो गया है तो मरीज को अस्पताल में भर्ती भी किया जाता है।

चिकित्सकीय इलाज (Medical Treatment for Jaundice)
  • डिहाइड्रेशन होने पर आई वी फ्लूयड्स (IV fluids in case of dehydration)
  • एंटी बायोटिक्स (antibiotics)
  • एंटी वायरल दवा (antiviral medicines)
  • ब्लड ट्रांसफ्यूजन (blood transfusions)
  • स्टेरॉयड्स (steroids)
  • कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और नवजात के लिए फोटोथेरेपी (chemotherapy/radiation therapy & phototherapy for newborns)

परहेज और आराम (Diet, care and rest)
पीलिया के मरीज को डॉक्टर बिस्‍तर पर आराम करने की सलाह देते हैं और घूमने- फिरने से मना करते हैं। डॉक्‍टर की सलाह से ऐसे मरीजों को भोजन में प्रोटीन और कार्बोज वाले प्रदार्थो का सेवन करना चाहिये। नींबू, संतरे तथा अन्‍य फलों का रस भी इस रोग में फायदेमंद होता है। वसा युक्‍त तले-भुने भोजन का सेवन इसमें हानिकारक है। चावल, दलिया, खिचड़ी, उबले आलू, शकरकंदी, चीनी, ग्‍लूकोज, गुड़, चीकू, पपीता, छाछ, मूली के सेवन से पीलिया जल्दी खत्म होता है।

पीलिया से बचाव के कुछ जरुरी टिप्स (Some useful tips to prevent from Jaundice)
  • दूध व पानी उबाल कर पीएं।
  • ताजा व साफ और गर्म भोजन करें।
  • स्‍वच्‍छ शौचालय का ही प्रयोग करें।
  • सीरिंज को 20 मिनट तक उबाल कर ही लगवाएं।
  • पीने के लिए हमेशा स्वच्छ और बैक्टीरिया रहित पानी का ही इस्तेमाल करें।
  • खाना बनाने, परोसने, खाने से पहले व बाद में और शौच जाने के बाद में हाथ साबुन से अच्‍छी तरह धोना चाहिए।
  • भोजन जालीदार अलमारी या ढक्‍कन से ढक कर रखना चाहिए, ताकि मक्खियों व धूल से बचाया जा सकें।
  • रोगी बच्‍चों को डॉक्‍टर जब तक यह न बता दें कि ये रोग मुक्‍त हो चूके है स्‍कूल या बाहर नहीं जाने दे।
  • रक्‍त देने वाले व्‍यक्तियों की पूरी तरह जांच करने के बाद ही रक्त लें। अगर रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा ज्यादा होगी तो आपको भी पीलिया हो सकता है।

पीलिया से बचाव के घरेलू उपचार (Home Remedies For Jaundice)

Home Remedies for Jaundice
पीलिया रोग सूक्ष्म विषाणु के कारण होता है। इस रोग के होने पर व्यक्ति के नाखुन और आंखें पीली दिखाई देती हैं। चिकित्सा की भाषा में पीलिया को वायरल हैपेटाइटिस (Viral Hepatitis) कहते हैं। पीलिया रोग साफ-सफाई के अभाव में या दूषित पानी और भोजन के सेवन के कारण होता है।
पीलिया रोग के होने पर व्यक्ति को भूख न लगना, बुखार रहना, जी मिचलाना, सिर में दर्द होना, पेशाब का पीला आना तथा कमजोरी व थकान लगना, जैसे लक्षण नजर आते हैं। पीलिया होने पर व्यक्ति का लीवर प्रभावित होता है। यदि समय रहते पीलिया रोग का उपचार न किया जाए तो व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

जानें पीलिया से बचाव के घरेलू उपचार (Home Remedies for Jaundice)
1. टमाटर का रस (Tomato juice)- पीलिया होने पर एक गिलास टमाटर के रस में एक चुटकी नमक और काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट पीएं। आराम मिलेगा।
2. मूली की पत्ती (Radish leaves)- मूली की पत्तियों को पीसकर, उसका रस निकालें। लगभग आधा लीटर मूली की पत्तियों का रस रोजाना पीएं। दस दिन के भीतर रोगी को पीलिया से आराम मिलेगा।
3. पपीते की पत्ती  (Papaya leaves)- एक चम्मच पपीते की पत्ती के पेस्ट में एक चम्मच शहद मिलाकर, रोजाना तकरीबन दो हफ्तों तक खाएं। पीलिया के उपचार के लिए यह बेहद फायदेमंद घरेलू नुस्खा है।
4. गन्ना (Sugarcane)- गन्ना, पाचन क्रिया को दुरूस्त करता है साथ ही लीवर को भी बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद करता है। उपचार के लिए एक गिलास गन्ने के रस में नींबू का रस मिलाकर रोजाना दो बार पीएं।
5. तुलसी की पत्ती (Basil leaves)- तुलसी की दस से पन्द्रह पत्ती का पेस्ट बनाकर, गाजर के रस में मिला लें। इस रस को रोजाना, दो से तीन हफ्तों तक पीएं। पीलिया रोग से राहत मिलेगी।
6. जौ (Barley)- एक कप जौ को तीन लीटर पानी में अच्छी तरह उबाल लें और तीन घंटे तक ढक कर रख दें। इस पानी को दिन में कई बार पीएं।
7. नींबू  (Lemon)- नींबू लीवर को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। एक गिलास पानी में दो नींबू निचोड़ें और पीएं।
8. बादाम (Almond)- बादाम की 8 गिरी, 2 खजूर और 5 इलायची को पानी में रातभर भिगाकर रखें। सुबह सबके छिलके उतारकर, पीसकर, पेस्ट तैयार करें। इसमें थोड़ा सा मक्खन और चीनी मिलकर खाएं।
9. हल्दी (Turmeric)- एक गिलास गुनगुना पानी लें और उसमें हल्दी मिलायें, इस पानी को दिन भर में तीन से चार बार पीएं। पीलिया के उपचार के लिए बेहद प्रभावी उपाय है।
10. छाछ (Buttermilk)- पीलिया होने पर छाछ बेहद लाभकारी है। दही को मथकर छाछ तैयार करें और इसमें काली मिर्च और भुना जीरा मिलाकर पीएं।
11. केला  (Banana)- पके हुए केले को कुचलकर, उसमें शहद मिलायें। इस तरह के केले को दिन में दो बार खाएं।
12. गाजर का रस (Carrot juice)- गाजर का ताजा रस निकालकर पीएं, पीलिया में राहत मिलेगी।
13. बेल की पत्ती (Wood apple leaves)- बेल की पत्ती को पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को पानी में मिलाकर रोजाना पीएं। पीलिया के उपचार के लिए बेहद प्रभावी उपाय है।
14. कैमोमाइल चाय (Chamomile tea)- कैमोमाइल पीलिया रोग में बेहद लाभकारी है। कैमोमाइल की पत्तियों की चाय बनाकर पीने से पीलिया रोग जल्दी ठीक होता है। इस चाय को पीलिया ठीक होने के बाद भी पीना जारी रख सकते हैं।
15. आंवला (Gooseberry)- आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है। पीलिया रोग में आंवले का सेवन करने से बेहद लाभ होता है। आंवले के सेवन से लीवर भी मजबूत होता है।
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राजीव सिपहिया 

3 comments:

  1. Thanks for sharing your post. You can say good bye to jaundice with the help of herbal remedies.visit also http://www.hashmidawakhana.org/natural-remedies-for-jaundice-treatment.html

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  2. Nice post. Jaundice natural treatment is proven to be safe and effective.Consider taking jaundinil capsule for safe and effective result.

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